هو :
غيبي كم شئتِ
ففي القلب دوماً ,, حاضرة
هي :
وهل للغياب معنى
وانا بكَ ,, أحيا
هو :
قد اعتزمتِ الرحيل
وحزمتي حقائبكِ ,, مليئة
هي :
حقاً ,, ولكن القلب
أنت من يملؤه
هو :
ألستِ من أقفل
أمامي الأبواب ,,؟
هي :
أما وعدتَ بانتظار
حتى السراب ,,؟
هو :
أما دعوتكِ يوماً
للاقتراب ,,,!
هي :
ألم تسمع نحيبي
داخل المحراب ,,!
هو :
ألستِ من أطلق
للفراق العنان ,,!
هي :
ألم أكبح جماحه
حين سمعت النداء
هو :
ألم تسمعي بالأمس
خفق الفؤاد ,,!
هي :
وقبل الأمس ,,
ليس له تعداد ,,!
هو :
ألستِ من تركني
ثم انثنى ,,!
هي :
أوَحسبت أني سوف
اتركك للعنا ,,؟
هو :
فلماذا حملت الحقائب
وامتطيت العيس ,,!
هي :
قد برك مني
ورفض الرحيل ,,!
هو :
أوقد شفق ,, هو
دونكِ لحالي ,,!
هي :
أما زلت بعد
ذو القلب الكبير ,,؟
هو :
وقد وسعكِ دوماً
دون شكوى
هي :
بل كنت اسمع
منه النجوى
هو :
فعودي إليَّ
وكفاكِ جور
هي :
فلا ترحل انت
وتتقمص الدور
هو :
لست من يقتل
نفسه بترحال
هي :
ولكن لدي أخيراً
سؤال ,,:
هو :
أجيب عليه
بضمة صدر
هي :
اجل ,, وحينها
ينتهي بي العمر
هو :
أحبكِ ,, يا غيثاً
من مزن السماء
هي :
وأنت لي
أنفاسي والهواء
,,,, يحيى مراد ,,,,
28/4/2014